बीवी से तलाक चाहिए ,पत्नी के साथ नहीं जमती! कुंवारा काट रहे हैं, परिवार नहीं बसा सके….लेकिन दिन भर ‘हिंदू मुसलमान’ का नफ़रती भाषण…!
अमन पसंद लोगों के बीच कुछ लोगों का मिशन है… ….
आवाम को तीतर बटेर और कुत्ते बिल्लियों की तरह आपस में लड़ाना।
*इसलिए वो दिन रात ‘हिंदू मुसलमान हिंदू मुसलमान’ किया करते हैं।
उन्हें बिकती हुई सार्वजनिक संपत्तियों की चिंता नहीं है,
निजीकरण की चिंता नहीं है।
महिलाओं के साथ होने वाले दुराचार बलात्कार ऑफिस में व्याप्त भ्रष्टाचार ….
*कठुआ से उन्नाव और मणिपुर तक की बदहाली सुनना ही नहीं चाहते।
पुलवामा कांड को भूल चुके हैं, 42 जवानों की अनफॉरगेटेबल शहादत उनके लिए चिंता का विषय नहीं है।
*साक्षी मलिक और विनेश फोगाट की चिंता नहीं है!
ऐसे लोग कभी बृजभूषण सिंह और कुलदीप सेंगर का नाम अपनी जबान पर नहीं लाते।
वहीं कुछ लोग कभी गोडसे तो कभी गुरु अफजल सजा याफ़्ता को अपना आदर्श मानते हैं मगर….
*उन्हें चिंता है तो हिंदू और मुसलमान की!
पता नहीं देश को किस तरफ़ ले जाना चाहते हैं ऐसे लोग!
हम दिन भर हिंदू मुसलमान हिंदू मुसलमान करते हैं लेकिन ,
अनाथालय में जाकर यतीम खानों में जाकर ….
अपने बच्चों के ग़म में तड़पते बदहाल वालिद और बूढ़ी माताओं को नहीं देखते।
*कि हम एक ‘अच्छी औलाद’ तो बन नहीं पाए, चले हैं हिंदू और मुसलमान बनने!
अदालतें भरी पड़ी है भाई – भाई के मुकदमों से,
अपने ही खून का कत्ल कर देना आज आम बात हो गई है।
पड़ोसी से पड़ोसी की नहीं जमती… पट्टीदार का पट्टीदार मुंह नहीं देखना चाहता।
भाई ने भाई का रास्ता रोक कर रखा है।
लेकिन दिन भर हिंदू मुसलमान।
*आरक्षण के नाम पर ‘अगडा और पिछड़ा’ दोनों जान दे देने को तैयार है!
ऊपर से तुर्रा ए कि दिन रात हिंदू मुसलमान करके,
कुशल देश प्रेमी और शरीफ लोगों का दिल दिमाग खराब कर देना चाहते हैं कुछ लोग।
*वास्तव में सियासती लोग हैं जो दंगा करा सकते हैं लेकिन उसे झेलते नहीं!
बदहाली के आलम में ये लोग किसी सुरक्षित जगह पनाह ले लेते हैं ।
आगजनी और हिंसा का दर्द कौन झेलता है ….
छोटे-छोटे बच्चे, महिलाएं और रोज कमाने खाने वाले कमज़ोर लोग।
मुज़फ़्फ़रपुर, सहारनपुर, हाथरस, दिल्ली, बंगाल मणिपुर और *गुजरात का मशहूर गोधरा* इसकी नज़ीर है।
एक साझे मुल्क में जो ‘सड़न भरी हवा’ आप पैदा करना चाहते हैं,
वो चाहे हिंदू हो या मुसलमान!
वे ‘मानवाधिकार और रेड क्रॉस’ के साथ गंदा मज़ाक कर रहे हैं ।
वास्तव में ऐसे लोग ‘मानवता’ के अपराधी हैं ,
*जो शांति प्रेमी और जैसे तैसे कमाने खाने वाले ‘लोगों के दिलों में, केवल ‘नफ़रत की आग’ पैदा कर देना चाहते हैं।*
देश की एकता और अखंडता के लिए…
ऐसे पापियों को अपना ‘घटिया मनोरंजन’ और ‘गंदी सियासत’ का जानलेवा खेल बंद कर देना चाहिए!