प्रशांत किशोर: बिहार में BPSC आंदोलन के नायक और छात्रों की उम्मीदों का चेहरा

प्रशांत किशोर: बिहार में BPSC आंदोलन के नायक और छात्रों की उम्मीदों का चेहरा

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प्रशांत किशोर: बिहार में BPSC आंदोलन के नायक और छात्रों की उम्मीदों का चेहरा

बिहार में सरकारी नौकरियों के लिए परीक्षाओं की प्रक्रिया और देरी को लेकर छात्रों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है। इस आंदोलन में रणनीतिकार और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत किशोर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। आइए जानते हैं उनके योगदान और BPSC आंदोलन के मुद्दों पर विस्तार से।


कौन हैं प्रशांत किशोर?

प्रशांत किशोर का नाम देश के प्रमुख राजनीतिक रणनीतिकारों में शामिल है।

  • शिक्षा और अनुभव: इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से आने वाले प्रशांत किशोर ने चुनावी रणनीति के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई।
  • राजनीतिक सफर: उन्होंने कई बड़े नेताओं और पार्टियों के लिए चुनावी रणनीतियां बनाई हैं, जैसे नरेंद्र मोदी, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल।
  • जन सुराज अभियान: राजनीति से हटकर उन्होंने जन सुराज अभियान शुरू किया, जिसमें बिहार के लोगों को बेहतर शासन और समाज सुधार का वादा किया गया।

BPSC आंदोलन में उनकी सक्रिय भागीदारी छात्रों के बीच उनके बढ़ते प्रभाव को दर्शाती है।


BPSC आंदोलन: छात्रों की प्रमुख मांगें

बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) परीक्षाओं से जुड़े कई मुद्दों ने छात्रों को सड़कों पर उतरने को मजबूर किया।

  1. परीक्षाओं में देरी: समय पर परीक्षाएं और परिणाम जारी न होने से छात्रों का भविष्य अनिश्चित हो रहा है।
  2. पारदर्शिता की कमी: परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता न होने की शिकायतें बढ़ रही हैं।
  3. पदों की कमी: छात्रों का कहना है कि रिक्त पदों की संख्या बढ़ाई जाए और बैकलॉग को जल्द से जल्द भरा जाए।
  4. पुनरावृत्ति की समस्या: बार-बार परीक्षा रद्द होने और पेपर लीक जैसी घटनाओं से छात्रों का भरोसा टूट रहा है।

प्रशांत किशोर की भूमिका

प्रशांत किशोर ने आंदोलन को दिशा देने और छात्रों की आवाज को सरकार तक पहुंचाने का काम किया है।

  • सीधे संवाद: वे छात्रों से सीधे मिलकर उनकी समस्याएं सुनते हैं और उन्हें उचित समाधान का भरोसा दिलाते हैं।
  • मीडिया का सहारा: उन्होंने आंदोलन की गूंज पूरे देश में पहुंचाने के लिए मीडिया का भी सही इस्तेमाल किया है।
  • सरकार से अपील: प्रशांत किशोर ने बिहार सरकार से मांग की है कि छात्रों की समस्याओं का तुरंत समाधान किया जाए।

सरकार की प्रतिक्रिया

बिहार सरकार ने आंदोलन के बाद कुछ कदम उठाने की घोषणा की है, लेकिन छात्रों का कहना है कि ये पर्याप्त नहीं हैं।

  • परीक्षा तिथि घोषित करना: सरकार ने कुछ परीक्षाओं की तिथियां घोषित की हैं।
  • आश्वासन: मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि पारदर्शिता और समय पर परीक्षाओं के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
  • कमी: छात्रों को लगता है कि सरकार के प्रयास धीमे और प्रभावहीन हैं।

कैसे सुलझ सकते हैं ये मुद्दे?

  1. पारदर्शिता बढ़ाएं: परीक्षा प्रक्रिया को ऑनलाइन और अधिक पारदर्शी बनाया जाए।
  2. समयबद्धता: परीक्षाओं और परिणामों को तय समय सीमा में पूरा किया जाए।
  3. रिक्त पद भरें: बैकलॉग और नई रिक्तियों को तत्काल भरा जाए।
  4. छात्रों के साथ संवाद: सरकार को छात्रों के साथ संवाद बढ़ाना चाहिए ताकि उनकी समस्याओं को सीधे समझा जा सके।

छात्रों के लिए विकल्प

सरकारी नौकरियों के अलावा, छात्रों को निजी क्षेत्र, उद्यमिता और कौशल विकास में भी ध्यान देना चाहिए।

  • कौशल विकास योजनाएं: केंद्र और राज्य सरकार की स्किल इंडिया योजनाएं एक अच्छा विकल्प हो सकती हैं।
  • स्टार्टअप: बिहार जैसे राज्य में कृषि और सेवा क्षेत्रों में स्टार्टअप के लिए बेहतर संभावनाएं हैं।

BPSC आंदोलन बिहार के युवाओं की हताशा और उनके अधिकारों के लिए लड़ाई को दर्शाता है। प्रशांत किशोर जैसे व्यक्तित्व का साथ मिलना इस आंदोलन को और मजबूती देता है। यह समय है कि सरकार छात्रों की मांगों को गंभीरता से ले और ठोस कदम उठाए।

“छात्रों का भविष्य केवल सरकारी नौकरियों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि उन्हें हर क्षेत्र में अपनी क्षमता को पहचानने का अवसर मिलना चाहिए।”

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