बुलडोजर प्रेमियों के लिए सुप्रीम कोर्ट से एक घातक खबर है ।
उनको ऐसा लगेगा जैसे कोई उनकी जान मुट्ठी में कैद कर लिया हो।
इसी के दम पर तो जिनकी सारी काबिलियत और फुफकार थी ।
लेकिन कौन कहता है अदालत भावनाओं से नहीं चलती !
आज अगर भावना ना जगी होती तो…
सर्वोच्च न्यायालय ने इतना बड़ा फैसला नहीं लिया होता।
एक कथित अपराधी के लिए पूरे परिवार को बेघर बार कर देना, वह भी बगैर अदालत की रजामंदी के…।
करोड़ों की संपत्ति को देखते ही देखते जमीन में लेटा देना ।
उस घर के बूढ़े बुजुर्ग गर्भवती स्त्रियां छोटे-छोटे बच्चे लाचार व्यक्ति के दिल पर क्या गुजरती रही होगी ?
जब उनके एक ‘नालायक औलाद’ के चलते पूरे घर के लोग दर्द सह रहे थे!
किसी एक घर का बेटा अगर संजोग से जिला अधिकारी बन जाए,
तो क्या उसे घर के लूले लंगड़े अपाहिज बूढ़े बुजुर्ग सभी डीएम हो जाएंगे?
घर का एक आदमी डॉक्टर हो जाए तो क्या हर आदमी अपने नाम के आगे डॉक्टर लिख सकेगा?
लेकिन नहीं एक गलत आदमी के चलते,
इस तोड़ू बुलडोजर ने कितने घरों की जिंदगी बर्बाद कर दी!
जिस मानवीय पीड़ा को महसूस करके माननीय सर्वोच्च न्यायालय का ज़मीर जगा ,
और एक महान फैसला हिंदुस्तान के कथित अपराधी परिवारों के हक में आया ।
बधाई मा. सुप्रीम कोर्ट को जिसने मनबढ़ बुलडोजर एक्शन का अंत किया ।
आज बुलडोजर अपने गेराज में खड़े होकर अपने किए पर पछता रहा होगा!
आंसू बहा रहा होगा ।
और पता नहीं कितने और दुश्मनों का घर नहीं तोड़ पाया,
उसके लिए बुलडोजर छटपटा रहा होगा ।
किसी की निजी संपत्ति पर बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक।
फिल्म के परदे पर ही हीरो नहीं होते भाई जी ,
वह कहीं भी पैदा हो सकते हैं।
बशर्ते उनकी आत्मा मर ना गई हो।
किसी मकान को मिट्टी में मिलाने के करवाई कानून सम्मत होनी चाहिए सुप्रीम कोर्ट ने देश की तमाम सरकारों को न्याय का पाठ पढाया।
अब सुप्रीम कोर्ट के इजाजत के बगैर बुलडोजर अगर एक कदम भी चलता है तो,
सारी जवाबदारी उस सरकार की होगी ,
और इसे न्यायालय की अवमानना माना जाएगा।
पूरे देश में बुलडोजर के प्रति दीवानगी रखने वाले ,
न्याय के नाम पर आधा अधूरा ही सही किंतु ,
‘फास्ट एक्शन के फर्जी तलबगारों ,
या महान लोगों के लिए यह खबर ,
शायद बहुत बुरी और पीड़ा दायक ख़बर हो।