भारतीय राजनीति में अगर किसी दल ने बीते चार दशकों में सबसे तेज़ और स्थायी उभार दर्ज किया है, तो वह है भारतीय जनता पार्टी (BJP)। इसकी स्थापना 6 अप्रैल 1980 को हुई थी, लेकिन इसकी वैचारिक नींव और राजनीतिक विरासत भारतीय जनसंघ (1951) से जुड़ी है। यह दल आज केंद्र की सत्ता में है और देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन चुकी है, लेकिन इसका यह सफर आसान नहीं रहा।
स्थापना से संघर्ष तक: जनसंघ से भाजपा
भारतीय जनता पार्टी की जड़ें भारतीय जनसंघ में हैं, जिसे 1951 में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कांग्रेस के वर्चस्व को चुनौती देने के लिए बनाया था। 1977 में इमरजेंसी के बाद राजनीतिक हालात बदले और जनसंघ ने अन्य विपक्षी दलों के साथ मिलकर जनता पार्टी का गठन किया।
लेकिन जनता पार्टी में दोहरी सदस्यता (RSS से संबंध) का मुद्दा उभरने के बाद 1980 में जनसंघ के नेताओं—अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, भैरों सिंह शेखावत आदि—ने एक नया दल बनाया: भारतीय जनता पार्टी।
राजनीतिक पहचान की तलाश और उभार
1984 के आम चुनावों में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उपजे सहानुभूति लहर में भाजपा को केवल दो लोकसभा सीटें मिलीं। यह पार्टी के लिए बड़ा झटका था। लेकिन भाजपा ने फिर अपनी रणनीति बदली और 1990 के दशक में राम जन्मभूमि आंदोलन के ज़रिए हिंदुत्व की राजनीति को अपनाया, जिसने उसे उत्तर भारत में बड़ी ताकत बना दिया।
- 1996 में भाजपा सबसे बड़ा दल बनी लेकिन बहुमत के अभाव में वाजपेयी की सरकार सिर्फ 13 दिन चली।
- 1998 में एनडीए गठबंधन के तहत भाजपा फिर सत्ता में आई।
- 1999 में चुनाव जीतकर भाजपा की सरकार ने पूरा कार्यकाल पूरा किया।
2004 से 2014: संघर्ष और पुनरुत्थान
2004 में “India Shining” कैंपेन के बावजूद भाजपा अप्रत्याशित रूप से हार गई और 10 वर्षों तक विपक्ष में रही। इस दौरान पार्टी ने संगठनात्मक ढांचे को मजबूत किया। 2014 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया, और भाजपा ने अकेले 282 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत हासिल किया।
2014 के बाद: मोदी युग और राजनीतिक वर्चस्व
2014 के बाद भाजपा ने कई राज्यों में अपना विस्तार किया और कांग्रेस के पारंपरिक गढ़ों में भी सेंध लगाई। 2019 में एक बार फिर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पार्टी ने भारी बहुमत से सरकार बनाई। आज भाजपा सिर्फ एक राजनीतिक दल नहीं, बल्कि एक संगठित और विचारधारात्मक आंदोलन की तरह काम कर रही है।
विचारधारा और वैचारिक नींव
भाजपा की वैचारिक प्रेरणा दीनदयाल उपाध्याय के “एकात्म मानववाद” और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की राष्ट्रवादी सोच से आती है। पार्टी राष्ट्रवाद, सांस्कृतिक गौरव, विकास और सुरक्षा को अपनी प्राथमिकता मानती है।
भारतीय राजनीति में भाजपा का स्थान
भाजपा ने एक लंबा सफर तय किया है—एक सीमित क्षेत्रीय संगठन से लेकर भारत की सबसे प्रभावशाली पार्टी बनने तक। इसकी राजनीतिक यात्रा यह दिखाती है कि संगठित विचारधारा, ज़मीन से जुड़ा नेतृत्व, और जनता की भावनाओं को समझने की कला किसी भी दल को किस हद तक ले जा सकती है।