श्री जयप्रकाश जायसवाल विचार गोष्ठी और कविता पाठ: एक संक्षिप्त रिपोर्ट
जनवादी लेखक संघ, कानपुर इकाई द्वारा “श्री जयप्रकाश जायसवाल विचार गोष्ठी और कविता पाठ” का आयोजन पत्रकारपुरम स्थित ‘रोमी का अड्डा’ में किया गया। यह आयोजन साहित्यिक विमर्श, विचारधारा और संवेदनशील रचनाओं से परिपूर्ण रहा।
कार्यक्रम की शुरुआत जनवादी लेखक संघ, कानपुर की सचिव अनीता मिश्रा द्वारा की गई, जबकि संचालन का दायित्व शालिनी सिंह ने निभाया। उद्घाटन में शालिनी सिंह ने केदारनाथ अग्रवाल की कानपुर पर आधारित एक कविता प्रस्तुत की, जिससे कार्यक्रम का साहित्यिक वातावरण तैयार हुआ।
पहला सत्र: कविता संग्रहों पर चर्चा
कार्यक्रम के प्रथम सत्र में कवयित्री सीमा सिंह के कविता संग्रह ‘कितनी कम जगहें हैं’ पर प्रो. आनंद शुक्ल ने अपना वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषी क्षेत्र बहुत बड़ा होने के बावजूद किताबों की कम बिक्री चिंताजनक है। विशेष रूप से कविता पढ़ने वालों की संख्या कम होती जा रही है। ऐसे में सीमा सिंह की पुस्तक बहुत संवेदनशील कविताओं का संकलन है, जिसमें स्त्री शोषण और संघर्ष की गहरी अभिव्यक्ति है। उनकी भाषा सहज है, जो कविता की सुंदरता को और अधिक प्रभावशाली बनाती है।
इसके बाद, जनवादी लेखक संघ के राज्य सचिव प्रो. नलिन रंजन सिंह ने राजेश अरोड़ा के कविता संग्रह ‘चिट्ठियाँ’ पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि कविता से ज्यादा संकट कवियों का है। आज कवियों की पहचान धुंधली होती जा रही है। ‘चिट्ठियाँ’ संग्रह स्मृतियों में जीने की प्रवृत्ति को दर्शाता है, और वर्तमान समय में स्मृतियों का संकट अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है।
दूसरा सत्र: काव्य गोष्ठी
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में काव्य पाठ का आयोजन हुआ, जिसमें विभिन्न कवियों ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं। प्रतिभागियों में सीमा सिंह, नलिन रंजन सिंह, मौली सेठ, खुशी गुप्ता, शालिनी सिंह, राजेश अरोड़ा, पंकज चतुर्वेदी, रमा शंकर सिंह, डॉ. संजीव सिकरोरिया, नूर आलम नूर, और एस.पी. सिंह शामिल रहे।
मौली सेठ की ‘तुम इंतजार करना मेरे जाने का’ कविता ने भावनात्मक वातावरण बनाया, जबकि रमा शंकर सिंह की ‘बांसुरी’ और ‘जमींदार का रोपनी गीत’ ने श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। सीमा सिंह ने अपनी कविता ‘पताकाएँ’ प्रस्तुत की, जिसमें सामाजिक और धार्मिक विषयों पर गहरा व्यंग्य था।
पंकज चतुर्वेदी की गद्य कविताएँ विशेष रूप से सराही गईं, जिनमें से एक विनोद कुमार शुक्ल को समर्पित कविता थी, जिसे सभी ने बहुत पसंद किया। उन्होंने ‘पोरबंदर में’ शीर्षक कविता भी सुनाई, जिसमें गांधीजी की अमरता का भावपूर्ण चित्रण किया गया था।
इसके पश्चात, प्रो. नलिन रंजन सिंह ने ‘आओ प्यार करें’ शीर्षक से अपनी कविता प्रस्तुत की: “मैंने युद्ध और शांति में शांति को चुना, मैंने मृत्यु और जीवन में जीवन को चुना, वे जो भरा-पूरा जीवन जीकर चले गए, उनके शोक में डूबने की जगह, मैंने तुम्हारे साथ प्रेम में डूबना चुना।”
कार्यक्रम की उपलब्धियाँ और निष्कर्ष
कार्यक्रम में शहर के लेखक, रंगकर्मी और बुद्धिजीवी उपस्थित रहे। प्रमुख अतिथियों में संध्या त्रिपाठी, प्रताप साहनी, अनूप शुक्ल, क्रांति कटियार, वंदना शर्मा, अंकित अवस्थी, सुरभि आर्या, दिनेश आर्या आदि शामिल थे।
कार्यक्रम में ‘जनरव’ नामक कविता संकलन भी उपलब्ध था, जो जनवादी लेखक संघ, उत्तर प्रदेश के 48 कवियों की रचनाओं का संग्रह है।
इस आयोजन की सफलता का श्रेय शालिनी सिंह के उत्कृष्ट संचालन, अनीता मिश्रा की समर्पित व्यवस्था और राजेश अरोड़ा के सहयोग को दिया गया। यह साहित्यिक संवाद एक सार्थक और स्मरणीय आयोजन सिद्ध हुआ।