सोशल मीडिया पर बच्चों के लिए नए नियम: अभिभावकों की अनुमति अनिवार्य, बच्चों की सुरक्षा के लिए जरूरी सावधानियां
डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (DPDP) के तहत अब 18 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया अकाउंट बनाने के लिए माता-पिता की अनुमति अनिवार्य होगी। सरकार ने यह कदम बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा सुनिश्चित करने और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बढ़ते खतरों को ध्यान में रखते हुए उठाया है।
सोशल मीडिया पर बच्चों के लिए नए नियम
- 18 साल से कम उम्र के बच्चों को अकाउंट बनाने से पहले अभिभावकों की लिखित सहमति देनी होगी।
- डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को बच्चों की डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।
- माता-पिता की अनुमति के बिना बच्चों की जानकारी का इस्तेमाल प्रतिबंधित रहेगा।
बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा के लिए अभिभावकों की जिम्मेदारी
- डिजिटल शिक्षा दें: बच्चों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के सुरक्षित उपयोग के बारे में जानकारी दें।
- निगरानी करें: बच्चों की सोशल मीडिया गतिविधियों पर नज़र रखें और उनके फ्रेंड्स लिस्ट व पोस्ट्स पर ध्यान दें।
- साइबर बुलिंग से बचाव: बच्चों को सिखाएं कि साइबर बुलिंग या किसी संदिग्ध गतिविधि के बारे में तुरंत माता-पिता को बताएं।
- टाइम मैनेजमेंट: बच्चों के स्क्रीन टाइम को सीमित करें ताकि वे अन्य शारीरिक और मानसिक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित कर सकें।
- सुरक्षित पासवर्ड का उपयोग: बच्चों को मजबूत और सुरक्षित पासवर्ड का महत्व समझाएं।
बच्चों के पालन-पोषण में ध्यान देने योग्य बातें
- भावनात्मक सहयोग दें: बच्चों की समस्याओं को सुनें और उन्हें यह महसूस कराएं कि वे अपनी बात आपसे खुलकर कह सकते हैं।
- पारिवारिक समय बढ़ाएं: टेक्नोलॉजी से समय निकालकर परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं।
- सकारात्मक आदतें विकसित करें: बच्चों को पढ़ाई, खेल और कला जैसी रचनात्मक गतिविधियों में व्यस्त रखें।
- अनुशासन और आज़ादी का संतुलन: बच्चों को अनुशासन सिखाने के साथ-साथ उन्हें अपनी पसंद के फैसले लेने की आज़ादी भी दें।
- सही मार्गदर्शन: बच्चों को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों जगह सही निर्णय लेने की सलाह दें।
क्यों जरूरी है यह कदम?
इस कानून के जरिए सरकार ने बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों को सुरक्षित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह कदम न केवल उनके व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा बल्कि उनके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को भी संरक्षित करेगा।
माता-पिता और समाज को मिलकर इस बदलाव को अपनाना होगा ताकि बच्चे सुरक्षित डिजिटल दुनिया में कदम रख सकें।