सागर। डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर अकादमिक साझेदारी एवं सहयोगात्मक शोध की दिशा में नया कदम रखने जा रहा है। डॉ. गौर विश्वविद्यालय एवं स्पेन के विश्वविद्यालयों के बीच अकादमिक एवं शोध समझौते की दिशा में कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता के नेतृत्व में पहल की जा रही है। भारतीय विश्वविद्यालय संघ, नई दिल्ली के गवर्निंग काउंसिल ने भारतीय एवं स्पेनिश विश्वविद्यालयों के बीच संपर्क के उद्देश्य से स्पेन में 8 से 11 जुलाई 2024 तक आयोजित संगोष्ठी में भागीदारी की और स्पेन के बार्सिलोना, मैड्रिड एवं वल्लाडोलिड के पांच विश्वविद्यालयों का भ्रमण किया। इस संगोष्ठी में ऑटोनॉमस यूनिवर्सिटी, इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी कैटालुन्या, लेइडा यूनिवर्सिटी, विगो यूनिवर्सिटी, जेन यूनिवर्सिटी, सलामसा यूनिवर्सिटी, वैलूसिया यूनिवर्सिटी से अकादमिक एवं शोध साझेदारी, आपसी सहयोग, स्टूडेंट एंड फैकल्टी एक्सचेंज जैसे विषयों पर सार्थक चर्चा हुई। भारतीय विश्वविद्यालय संघ की प्रतिनिधि के रूप में गवर्निंग काउंसिल की सदस्य प्रो. नीलिमा गुप्ता ने स्पेन के ऑटोनॉमस यूनिवर्सिटी ऑफ बार्सिलोना, यूनिवर्सिटी ऑफ बार्सिलोना, आई ई यूनिवर्सिटी मैड्रिड, ऑटोनॉमस यूनिवर्सिटी ऑफ मैड्रिड, यूनिवर्सिटी ऑफ वल्लाडोलिड का भ्रमण कर वहां के अकादमिक, शोध एवं अन्य अकादमिक नीतियों की जानकारी लेते हुए चर्चा की और सत्र को संबोधित किया।
उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए ऑटोनॉमस यूनिवर्सिटी, मैड्रिड में आयोजित ‘शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीय करण: भारतीय परिप्रेक्ष्य’ सत्र को पॉवर प्वाइंट के माध्यम से संबोधित करते हुए शिक्षा के अंतराष्ट्रीयकरण के तरीकों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में यह कदम आवश्यक है। उन्होंने विभिन्न स्तरों पर इसके क्रियान्वयन की रूपरेखा भी प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि भारतीय छात्रों में विदेशी विश्वविद्यालयों के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आलोक में शिक्षा के अन्तरराष्ट्रीयकरण की आवश्यकता है।
अंतर्राष्ट्रीय करण हेतु यूजीसी के 2021 एवं 2023 की गाइडलान का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत के विश्वविद्यालयों के केंद्रों की विदेशों में एवं विदेशी विश्वविद्यालयों के केंद्रों की स्थापना भारत में हो। उन्होंने ट्विनिंग प्रोग्राम, ज्वाइंट डिग्री प्रोग्राम, डुअल डिग्री प्रोग्राम पर चर्चा की। उन्होंने भारत में चल रहे डीएसटी, यूजीसी, आईएनएसए द्वारा प्रायोजित योजनाओं की भी चर्चा की। उन्होंने भारत में विदेशी छात्रों के आकर्षण के उपायों को भी बताया।
शिक्षा के अन्तरराष्ट्रीयकरण में उचित पाठ्यक्रमों, शोध एवं पुरा छात्रों की महती भूमिका को बताते हुए उन्होंने कहा कि डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय अकादमिक साझेदारी, शोध एवं पाठ्यक्रमों के माध्यम से शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण की दिशा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उनकी स्पेन यात्रा के अनुभवों को शीघ्र की अमल में लाते हुए विश्वविद्यालय के इंटरनेशनल सेल के माध्यम से स्पेन के विश्वविद्यालयों के साथ पाठ्यक्रमों के संचालन एवं शोध में आपसी सहयोग स्थापित किया जाएगा।
विश्वविद्यालय के अंग्रेजी एवं अन्य यूरोपीय भाषा विभाग में शीघ्र ही स्पेनिश भाषा में पाठ्यक्रम प्रारंभ किये जायेंगे। इच्छुक छात्र-छात्राएं इंटरनेशनल सेल में संपर्क कर सकते हैं।