अरविन्द केजरीवाल और आप के लिए बुरी खबर
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अरविन्द केजरीवाल और आप के लिए बुरी खबर

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हर तरफ से अरविन्द केजरीवाल और आप के लिए बुरी खबर ही आ रही है..सत्ता में आने के दस साल के भीतर ही पार्टी के मुखिया सहित कई बड़े नेता भ्रष्टाचार के आरोप में सलाखों के पीछे जा चुके हैं..दिल्ली में अगले साल के शुरुआत में चुनाव होना है लेकिन ऐसा लगता है जैसे लोकसभा चुनाव में दिल्ली के लोगो ने केजरीवाल की पार्टी का सुपरा साफ़ किया था वैसा ही विधान सभा चुनाव में भी न हो जाए..क्यों की अब सुप्रीम कोर्ट में भी केजरीवाल की सरकार एक्सपोज़ होती जा रही है..दोस्तो आपको आज एक बात याद दिलाते हैं जब अरविन्द केजरीवाल सत्ता में आए थे तो वो कह रहे थे की दिल्ली जंगलों का बेताहाशा दोहन हुआ हैं. लेकिन हम दिल्ली में जंगलों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं. हमने दिल्ली में खुब पेड़ लगाए हैं. हम दिल्ली को फिर से हरा भरा करना चाहते हैं. दिल्ली के माफिआओं ने जंगलों को काटकर जमीने हड़प ली. दिल्ली में प्रदुषण भी खूब हो रहा हैं. तमाम तरह के दावे हो रहे थे की भाई दिल्ली के लोगो का खूब नुकसान हुआ हैं. जंगल के कट जाने से. लेकिन अब केजरीवाल सरकार को भी कोर्ट से खूब तगड़ी फटाकर लगी हैं
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में पेड़ों की कटाई को दिल्ली सरकार पर अपनी नाराजगी जाहिर की है. अदालत ने कहा है कि दिल्ली सरकार ने पर्यावरण को बचाने के लिए संवदेनशीलता नहीं दिखाई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार ने साउथर्न रिज रिजर्व फॉरेस्ट इलाके के 422 पेड़ों को काटने की अनुमति Delhi Development Authority को दी. ये अनुमति सड़क बनाने के लिए दी गई थी. शीर्ष अदालत ने सड़क चौड़ीकरण प्रोजेक्ट के तहत रिज क्षेत्र में 1,100 पेड़ों को काटे जाने के मामले में डीडीए के उपाधयक्ष द्वारा अवमानना कार्यवाही पर स्वत: संज्ञान लिया है.

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जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भूयान की बेंच ने अदालत में सुनवाई की है. अदालत ने कहा की ‘दिल्ली सरकार को 422 पेड़ गिराए जाने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए. जबकि दिल्ली सरकार के पास ऐसी अनुमति देने की कोई शक्ति नहीं है.’ अदालत ने 12 जुलाई को अपने आदेश में ये बात कही है. अदालत ने ये भी कहा कि रिज इलाके के पेड़ों के अलावा सरकार ने रिज क्षेत्र के बाहर के पेड़ों को भी बिना Delhi Preservation of Trees Act, 1994 के अनुमति काटने और गिराने की आज्ञा दी है. शीर्ष अदालत ने कहा कि डीडीए की तरह ही दिल्ली सरकार ने पर्यावरण को बचाने में संवेदनशीलता नहीं दिखाई. अदालत की बेंच ने कहा कि दिल्ली सरकार ने ट्री ऑफिसर नहीं दिए ना ही ट्री अथॉरिटी को कोई दफ्तर का आधारभूत संरचनाएं दी.
अदालत ने कहा कि दिल्ली सरकार के एफेडेविट से यह भी पता चलता है कि ये कोई पहली बार नहीं हुआ है बल्कि इससे पहले भी बिना अनुमति पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई. वहीं दिल्ली सरकार का कहना है कि डीडीए ने स्वीकार किया है कि उन्होंने दिल्ली सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन को ठीक से नहीं पढ़ा. अदालत की बेंच ने कहा कि हमने दिल्ली सरकार को आदेश दिया है कि वो ये बताए कि पिछले पांच साल में ऐसे कितनी अनुमतियां दी गई हैं. अदालत ने इन सभी को रिकॉर्ड पर लाने का आदेश दिया है..तो देखा आपने कैसे पेड़ों को काटने पर सुप्रीम कोर्ट ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया है..जबकि पेड़ों को काटने को लेकर आम आदमी पार्टी के नेता दिल्ली के एलजी पर ठिकड़ा फोड़ कर बचने की कोशिश कर रहे थे.

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