Budget 2024: कैपिटल गेन्स पर बड़ा फैसला, LTCG, STCG को लेकर बदले नियम

Budget 2024: कैपिटल गेन्स पर बड़ा फैसला, LTCG, STCG को लेकर बदले नियम

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वित्त वर्ष 2024-25 के लिए Budget 2024-25 पेश किया जा चुका है..अगर आपने प्रॉपर्टी या शेयर बाजार, कहीं भी निवेश किया है या फिर निवेश करने का इरादा रखते हैं ..सरकार ने इस बजट में कैपिटल गेन टैक्स में बदलाव का ऐलान किया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बजट में पूंजीगत लाभ (कैपिटेल गेन) टैक्स में बड़े बदलावों की घोषणा की है, साथ ही  इंडेक्सेशन बेनेफिट के नियम को हटा दिया है, जिनका असर खास तौर से रियल एस्टेट transactions को प्रभावित कर सकता है…भाषण में एलान किया कि कुछ निश्चित फाइनेंशियल असेट्स पर STCG टैक्स अब 20% लगेगा, जो पहले 15% थी। हालांकि, बाकी फाइनेंशियल एसेट्स पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स को 15% पर ही बरकरार रखा गया है..साथ ही LTCG में भी बदलाव किया गया है..पहले 10% था, लेकिन अब आपको 1 साल बाद Investment बेचने पर मुनाफे का 12.5% टैक्स देना होगा। इसका मतलब कि LTCG Tax में सरकार ने 2.5% का इजाफा किया है..जिन लोगों को नहीं पता की LTCG और STCG क्या है उन्हें बता दें की जब भी आप किसी Investment को एक साल की अवधी के लिए होल्ड करते हैं तो उसे STCG कहते हैं वहीं अगर एक साल से ज्यादा के लिए होल्ड करते हैं तो उसे LTCG कहा जाता है…अब सवाल उठता है की सरकार ने ये बदलाव किया क्यों है तो वो भी आपको बता दें की Covid के बाद से ही शेयर बाजार में लोगों की रुची बड़ गयी है..भारी मात्रा में लोग बाजास में निवेश कर रहे हैं और तो और मुनाफा भी कमा रहे हैं बढ़ते Demat Accounts इस बात का सबूत देते हैं..सरकार सीधा हिसाब है की अगर आप कहीं भी मुनाफा कमा रहे हैं तो उसका कुछ हिस्सा सरकार की जेब में डाल के जाइए तो बस शेयर बाजार की दौड़ में सरकार ने थोड़ी से लगाम लगा दी है…इस बदलाव का ज्यादा असर Retail Investors पर नहीं बल्की HNI’s पर पड़ेगा..क्योंकि अब उन्हें Daily Transaction के साथ Long Term Holding पर भी Tax देना पड़ेगा…इसके साथ ही सरकार ने Indexation का लाभ भी इस बजट में हटा दिया गया है..जिसका सीधा असर Real Estate Investments पर पड़ेगा..दरअसल, इंडेक्सेशन बेनेफिट में आपकी प्रॉपर्टी की Inflation Rate के हिसाब से नई कीमत निकाली जाती थी, उसके बाद जो रकम बचती थी उसपर 20% टैक्स लगता था. लेकिन अब इसे बदल दिया गया है. उदाहरण के तौर पर दस साल पहले अगर आपने कोई प्रॉपर्टी 50 लाख की खरीदी थी तो आज उसकी वैल्यू 2 करोड़ हो गई होगी. अब ऐसे में अगर आप इस प्रॉपर्टी को बेचेंगे तो पहले के नियम के अनुसार इसपर इंडेक्सेशन बेनेफिट लागू होता. यानी महंगाई को ध्यान में रखकर आपके 50 लाख की नई वैल्यू लगाई जाती…अब मान लीजिए की inflation index के हिसाब से आज आपके 50 लाख की जमीन की कीमत 1.25 करोड़ है तो आपके जमीन की कीमत 1.25 करोड़ मान ली जाती.फिर नियम के अनुसार आपके 75 हजार रुपये पर 20% की दर से लॉन्ग टर्म गेन टैक्स लगता. लेकिन अब इस नियम को हटा दिया गया है…यानी अब आपको इस पूरे amount पर Tax देना पड़ेगा…

Income Tax Change

2022 के बजट में सरकार ने एक नई Tax Regime को पेश करा, नई Tax पेश करने के पीछे मंशी थी की Middle Class के लिए और नौकरी पेश के लिए बजत के नए दरवाजे खोले जा सकें…उसके बाद सरकार ने Budget 2024 में इस नई Tax Regime में कुछ संशोधन करने का प्रसताव रख है क्या है वो बदलाव आइए आपको बताते हैं इस वीडियो में…न्यू टैक्स रिजीम के तहत अब 3 लाख से 7 लाख रुपए की आय पर 5% के हिसाब से टैक्स देना होगा.. पहले ये 6 लाख तक था….7 से 10 लाख की सैलरी पर 10% के हिसाब से टैक्स देना होगा..पहले ये 9 लाख तक था….10 लाख रुपये से 12 लाख रुपये तक 15% Tax देना होगा पहले ये 9-12 लाख के Tax Bracket पर लगता था..12 लाख रुपये से 15 लाख रुपये तक 20% लगेगा इसमें किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं हुआ है..15 लाख से ज्यादा की आय पर 30% Tax लगेगा इसमें भी कोई बदलाव नहीं किया गया है…लेकिन New Tax Regime में केवल इतने ही बदलाव नहीं है…आपको बता दें की इसके अलावा स्टैडर्ड डिडक्शन जिस पर सबकी नजर थी उसमें भी बदलाव किया गया है…इसे ₹50 हजार से बढ़ाकर ₹75 हजार कर दिया है… इन बदलावों से टैक्सपेयर्स को 17,500 रुपए तक का फायदा होगा…लेकिन ये फायदा भी 15 लाख के ऊपर की सैलरी वालों को मिलेगा.. हालांकि पुरानी टैक्स रिजीम में कोई बदलाव नहीं किया गया है…जो लोग पुरानी Tax Regime में है उनके लिए कोई बदलाव या सौगात इस बजट में नहीं आया है….वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में ये भी कहा था की अब तक देश के 2/3 लोग इस नई Tax Regime में Shift हो चुके हैं…अब सवाल है कि आखिर टैक्स में बदलाव का प्रस्ताव क्यों दिया गया है। आपको बता दें कि cost inflation index साल 2012-13 में 200 था, जो कि 2024-25 के लिए बढ़कर 363 तक पहुंच गया है। इन आंकड़ों में अंतर के लिए प्रमुख रूप से बढ़ती महंगाई भी जिम्मेदार है। इस वजह से पुराने टैक्स स्लैब में बदलाव का प्रस्ताव दिया गया है, जिससे बाजार संतुलन बना रहे..

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