सुल्तानपुर– बल्दीराय तहसील क्षेत्र के अंदर दर्जनों निजी स्कूल ऐसे हैं,जिनकी मान्यता तो कक्षा पांचवीं तक है लेकिन कक्षाएं इंटर तक की चलाई जा रही हैं। यही नहीं इन स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक खुद ही हाईस्कूल या इंटर पास हैं। इसके अलावा विद्यालय दो से चार कमरे ही हैं। न इनमें शौचालय की सुविधा है और न हीं खेल के मैदान। सब कुछ जानते हुए भी जिम्मेदार मौन हैं।संचालक अधिकारियों से मिलकर छात्रों के परिजनों से फीस के नाम पर मोटी कमाई कर रहे हैं।शिक्षा जगत से जुड़े कुछ अधिकारियों के कारण ही इन स्कूलों की जांच नहीं हो पाती है। अगर स्कूलों में देखा जाए तो किसी भी स्कूल में बालक और बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचालय नहीं है।
सुरक्षा की दृष्टि से अग्निशमन यंत्र नहीं लगाए गए हैं
कई जगह तो हाईस्कूल इंटर के बच्चों को बेसमेंट में पढ़ाया जाता है। जबकि परिषदीय स्कूलों में तमाम सुविधाओं के बाद भी लोग बच्चे के एडमिशन के लिए कतराते नजर आते हैं। इनको बंद करने के लिए नोटिस तो निकलते हैं लेकिन खुद ही नोटिस का पालन नहीं करवाते। क्या है मानक। बेसिक शिक्षा विभाग के नियमावली के मुताबिक निजी विद्यालयों में भी पढ़ाने वाले शिक्षकों की योग्यता निश्चित है। उनको भी बीटीसी या समकक्ष होना अनिवार्य है। तभी वह शिक्षण कार्य कर सकते हैं। स्कूलों में अग्निशमन केंद्र शौचालय का होना अत्यंत आवश्यक है। कमरे हवादार होने चाहिए कमरों में पंखे लगे होने चाहिए तभी उन्हें मान्यता मिलती है।