पन्ना जिले में अजयगढ़ के ऐतिहासिक अजयपाल किले में खजाने का रहस्य लंबे समय से बरकरार है, यहां किला के द्वार पर रहस्यमय लिपि में लिखी गई पहेली में खजाने का रहस्य छिपे होने की बात कही जाती है, जिसे अब तक कोई भी सुलझाने में कामयाब नहीं हुआ, समय-समय पर कुछ लोगों के द्वारा खजाने की तलाश के लिए यहां वहां खुदाई की जाती रही है लेकिन आज, अब तक की सबसे बड़ी खुदाई का मामला सामने आया है। ऊंचे पहाड़ पर स्थित प्राचीन किले के रंग महल के बगल में खुदाई करते हुए धन के लालची तहखाना तक पहुंच गए, इसके बारे में जैसे ही लोगों को जानकारी मिली यह खबर नगर में आग की तरह फैल गई, इस मामले में वन विभाग और पुरातत्व विभाग के अधिकारी कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। कहा जा रहा है कि पुरातत्व विभाग के अधिकारी अजयगढ़ पन्ना के बजाय खजुराहो में रहते हैं, वन कर्मियों का भी यहां आना-जाना लगा रहता है,
ऐतिहासिक किले में रिटर्निंग बाल एवं मार्ग निर्माण में वन विभाग के द्वारा लंबे समय से बाधा डाली जाती रही है, यहां से पत्थर और लकड़ी ले जाने पर भी वन विभाग के द्वारा कार्रवाई कर दी जाती है, लेकिन धन के लालच में खुदाई करने वाले इतनी गहराई तक पहुंच गए और वन विभाग एवं पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को भनक भी नहीं लगी, फिलहाल अजयगढ़ पुलिस के द्वारा एफआईआर दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी गई है, अब देखना यह होगा कि इस मामले में क्या कार्रवाई होती है।
कहा जा रहा है कि पुरातत्व विभाग के अधिकारी अजयगढ़ पन्ना के बजाय खजुराहो में रहते हैं। वन कर्मियों का भी यहां आना-जाना लगा रहता है। ऐतिहासिक किले में रिटर्निंग वाल एवं मार्ग निर्माण में वन विभाग के द्वारा लंबे समय से बाधा डाली जाती रही है। यहां से पत्थर और लकड़ी ले जाने पर भी वन विभाग के द्वारा कार्रवाई कर दी जाती है लेकिन धन के लालच में खुदाई करने वाले इतनी गहराई तक पहुंच गए और वन विभाग एवं पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को भनक भी नहीं लगी। फिलहाल बताया जा रहा है कि इस मामले में अजयगढ़ पुलिस के द्वारा प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्विक स्थल ओर अवशेष अधिनियम 1958 की धारा 30 (१)(आई) एवं सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम 1984 धारा 3(२)(क) के तहत प्रकरण दर्ज कर विवेचना की जा रही है। अब देखना यह होगा कि इस मामले में क्या कार्रवाई होती है।