बिहार की लोक गायिका शारदा सिन्हा का 5 नवंबर को निधन हो गया। अपने छठ गीतों के लिए मशहूर पद्म भूषण से सम्मानित शारदा सिन्हा को 27 अक्टूबर को नई दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 72 वर्षीय सिन्हा 2018 से मल्टीपल मायलोमा, एक प्रकार के रक्त कैंसर से जूझ रही थीं। उनके बेटे अंशुमान सिन्हा, जो सोशल मीडिया पर उनके स्वास्थ्य के बारे में अपडेट साझा करते रहे थे, उन्होंने इंस्टाग्राम पर इस खबर की पुष्टि की।
बेटे ने साझा की मौत की खबर
अंशुमान ने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम हैंडल से शारदा सिन्हा की एक तस्वीर साझा करते हुए हिंदी में लिखा, ‘आपकी प्रार्थनाएं और प्यार हमेशा मेरी मां के साथ रहेगा। छठी मैया ने उन्हें अपने पास बुला लिया है। वह अब भौतिक रूप में हमारे बीच नहीं हैं।’
पीएम मोदी ने जताया दुख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर सिन्हा के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, ‘प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा जी के निधन से बहुत दुःख हुआ। उनके मैथिली और भोजपुरी लोकगीत दशकों से बेहद लोकप्रिय रहे हैं। आस्था के महापर्व छठ से जुड़े उनके मधुर गीत हमेशा गूंजते रहेंगे। उनका जाना संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। दुख की इस घड़ी में मेरी हार्दिक संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।’
पीएम मोदी ले रहे थे अपडेट
एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी सिन्हा की स्थिति पर नजर रखे हुए थे और डॉक्टरों के संपर्क में थे। इससे पहले आज अंशुमान ने बताया था कि प्रधानमंत्री मोदी ने व्यक्तिगत रूप से उन्हें उनकी मां के इलाज के लिए पूर्ण सहायता का आश्वासन दिया है। लोक गायिका के बिगड़ते स्वास्थ्य ने उनके प्रशंसकों और शुभचिंतकों के बीच व्यापक चिंता पैदा कर दी है।
शारदा सिन्हा के गीत
शारदा सिन्हा का आखिरी प्री-रिकॉर्डेड गाना, दुखवा मिटाईं छठी मईया, छठ 2024 से पहले 4 नवंबर को रिलीज किया गया था। शारदा सिन्हा, जिन्हें प्यार से ‘बिहार कोकिला’ के नाम से जाना जाता है, एक प्रसिद्ध भारतीय लोक गायिका थीं, जिन्हें भोजपुरी, मैथिली और मगही संगीत में उनके अपार योगदान के लिए जाना जाता है। उन्होंने बिहार के पारंपरिक संगीत को व्यापक दर्शकों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके सबसे लोकप्रिय गानों में केलवा के पात पर उगलन सूरज मल झाके झुके, हे छठी मईया, हो दीनानाथ, बहंगी लचकत जाए, रोजे रोजे उगेला, सुना छठी माई, जोड़े जोड़े सुपावा और पटना के घाट पर शामिल हैं। उन्हें 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।